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आदिमानव संस्कृति से मानव संस्कृति के निर्माण, परिवर्तन, विकास में शिक्षा का
सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। उच्च शिक्षा के माध्यम से मानव साहित्यिक, तकनीकी, वैज्ञानिक
दृष्टिकोण अपना कर जैव-जगत की सेवा के साथ विकास पथ पर अग्रसर है। किसी भी देश के
सर्वांगीण विकास में उच्च शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। मनुष्य का ज्ञान सबसे बड़ा
संसाधन है। ज्ञानरूपी संसाधन के माध्यम से प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का समुचित उपयोग कर
राष्ट्र के सशक्त निर्माण में योगदान देना विद्यार्थियों का परम कर्तव्य है। प्राचीन काल में भारत
में तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला उच्च शिक्षा के प्रमुख केन्द्र थे। आजादी के बाद भारत ने
उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों, डीम्ड
विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों की स्थापना को प्रमुखता दी है। इसी क्रम में 10 अक्टूबर, 1965
को केन सोसायटीज़ नेहरू महाविद्यालय, हरदोई की स्थापना होती है।
विगत 58 वर्षो से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सफल गाथा लिखते हुये महाविद्यालय
धर्म, जाति, भाषा, वर्ग, लिंग से परे जनपद के सभी अंचलों से आने वाले छात्र/छात्राओं को
उच्च शिक्षा प्रदान करने के साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिये शिक्षणेतर कार्यकलापों, एन.सी.सी., एन.एस.एस, रोवर्स/रेन्जर्स,
खेल प्रतियोगिता, वैचारिक संगोष्ठी के माध्यम से सामाजिक
उत्तरदायित्व, प्रेम बन्धुता, राष्ट्रप्रेम की भावना को अनवरत बढ़ा रहा है। महाविद्यालय ने लखनऊ
विश्वविद्यालय, लखनऊ के निर्देशानुसार शिक्षा को अधिक व्यवहारिक, सम्पूर्णता, एकीकरण,
खोजपरक, अधिगम-अभिकेन्द्रित, परिचर्चा आधारित एवं आनन्दमय बनाने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा
नीति (2020) को पूर्णतः लागू किया है। नई शिक्षा नीति संकाय/विभाग के जटिल बन्धनों को
तोड़कर विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की शिक्षा एक साथ लेने के लिये मुक्त वातावरण प्रदान
करती है। साथ ही लोगों को शिक्षा पूर्ण करने के लिये अवसर प्रदान करती है।
अपने स्थापना काल से लेकर आज तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्वर्णिम गाथा
लिखते हुये महाविद्यालय एक बार फिर नये सत्र में विद्यार्थियों का स्वागत करने के लिये तैयार
है। प्रवेश प्रक्रिया, विषय आवंटन की शुचिता एवं पारदर्शिता के साथ योग्य उम्मीदवारों के चयन
के लिये महाविद्यालय पहली बार प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश लेगा। मुझे पूर्ण विश्वास है
कि सभी लोग सहयोग करेंगे।
मैं सभी भावी विद्यार्थियों को विश्वास दिलाता हॅूं कि विगत् वर्षो की भॉति हम
सर्वोत्तम शिक्षण के लिये प्रतिबद्ध हैं। यह सब आप लोगों के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है।
58वर्ष पुराने इस प्रतिष्ठित महाविद्यालय के प्राचार्य के तौर पर महाविद्यालय में आपके प्रवेश लेने
के निर्णय का मैं हृदय से स्वागत करता हॅू और मैं आपके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना
करता हॅू।
प्रोफेसर (डॉ0) कौशलेन्द्र कुमार सिंह
प्राचार्य
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