शिक्षाशास्त्र विभाग का प्रगति प्रतिबिम्ब
प्रगति प्रतिबिम्ब (क)
स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व0 बाबू मोहनलाल वर्मा द्वारा सन् 1965 में स्थापित सी0एस0एन0 महाविद्यालय की स्थापना के साथ ही स्नातक स्तर पर कला संकाय में शिक्षाशास्त्र विषय में पठ्न पाठ्न शुरू करने वाला जनपद का एकमात्र विद्यालय है। सितम्बर 1971 तक यह महाविद्यालय जिला चिकित्सालय के सामने स्थित केन सोसायटी के भवन में संचालित हो रहा था। पूर्व प्राचार्य स्व0 एम0पी0 जौहरी,
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता प्राप्त होने के फलस्वरूप वर्तमान भवन का उद्घाटन 02 अक्टूबर 1971 को गांधी जयंती के पावन अवसर पर मा0 अशोक बाजपेयी के करकमलों से सम्पन्न हुआ। यह स्नातकोत्तर महाविद्यालय जो कला संकाय के अन्तर्गत जनपद की उच्च शिक्षा की व्यापक आवश्यकताओं को अधिकांश रूप में पूरा करता है। उत्तर प्रदेश के अन्य सहायता प्राप्त महाविद्यालय भाँति हमारा महाविद्यालय भी शिक्षकों के अभाव में जूझ रहा था। जो वर्तमान में महाविद्यालय का स्वरूप बदल चुका है।
प्रगति प्रतिबिम्ब (ख)
वर्तमान में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर कौशलेन्द्र कुमार सिंह के सहयोग और प्रभावशाली नेतृत्व में हमारा महाविद्यालय प्रगति पथ की ओर अग्रसर है। यह प्रतिवेदन विगत सत्रों के उच्चावच अपने में समेटे हुए है।
वर्तमान में शिक्षाशास्त्र विभाग में आयोग से चयनित डॉ0 राम उग्र गोस्वामी (नेट, जे.आर.एफ.) शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रभारी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं तथा साथ ही डॉ0 वीर पाल गंगवार (नेट, जे.आर.एफ.) असिस्टेन्ट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। वर्तमान में शिक्षाशास्त्र विभाग में विद्यार्थीयों की शिक्षा के अवधारणा की समझ विकसित करने के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 एवं तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्धारित पाठ्यक्रम को कवर करने के साथ-साथ छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
किसी भी विषय को समझने की प्रक्रिया क्या होगी, उसके नियम और सिद्धान्त क्या-क्या होगा जिसको विद्यार्थी शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा समझते है। शिक्षा की अवधारणीय संरचना जैसे गूढ़ विषय को सरल रूप से तमाम उदाहरणों के द्वारा छात्रों को बताया जाता है।
शिक्षण सत्र 2022-23 में बी0ए0 तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों के लिए प्रयोगात्मक परीक्षाएं पुनः प्रारम्भ की जा चुकी हैं। जो विगत कई वर्षों से संचालित नहीं हो पा रही थी।
प्रगति प्रतिबिम्ब (ग)
शिक्षाशास्त्र वह विषय है जिसमें विद्यार्थियों को शिक्षा के सैद्धांतिक पक्षों के साथ-साथ व्यवहारिक पक्षों से भी अवगत कराया जाता है। शिक्षा मानव व्यवहार का परिष्कार करती है जिससे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है।
क्रो एवं क्रो के अनुसार- ‘शिक्षक बालकों को प्रेरित करके उन्हें अपने ध्यान को पाठ्य विषय पर केन्द्रित करने में सहायता दे सकता है।'
उपरोक्त कथन से प्रेरणा लेते हुए हमें पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि कुशल प्राचार्य एवं शिक्षकों के नेतृत्व में शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी अवश्य लाभान्वित होंगे और अपने भविष्य को उज्जवल बनायेंगे।