About the Department
महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य की कक्षाएं 1965-66 से आरंभ हुईं तथा हिंदी परास्नातक कक्षाएं 1969-70 से आरंभ हुईं। महाविद्यालय में 10.10.1965 से डॉ0 दुर्गा प्रसाद गौड़ द्वारा शिक्षण आरंभ हुआ जो अद्यतन विभिन्न प्राध्यापकों के कुशल अध्यापन में निरंतर प्रगति पर है।
महाविद्यालय में हिंदी विषय में शोधकार्य की एक सुदीर्घ परंपरा निरंतर गतिमान है। महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ शिवबालक शुक्ल द्वारा रचित "श्रवण कुमार" नामक खंडकाव्य माध्यमिक शिक्षा परिषद के इंटरमीडियट के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। शुक्ल जी ने अनेक निबंध लिखे जिनमे प्रमुख निम्न हैं - वांड्मय काव्य तथा साहित्य,
तुलसी का व्यंजना कौशल, रामचंद्रिका में महाकाव्यत्व, नाटक और उपन्यास में अंतर, कहानी तथा गद्य की कुछ विधाएं, कामायनी का महाकाव्यत्व, साकेत का नायक आदि। इसके अतिरिक्त इनका एक काव्यसंग्रह "उद्भावना" है। पूर्व प्राध्यापक डॉ० शिवस्वरूप तिवारी ने भी सुहासिका, गौधूरि और
नागफनी के दंश आदि अनेक रचनाओं से साहित्य की श्रीवृद्धि की है। डॉ॰ श्रीचंद्र सिंह हिंदी एवम साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान हैं। कथा साहित्य पर उनका विशिष्ट अधिकार है। "इक्कीसवीं सदी का ट्रेडमार्क" इनका सुप्रसिद्ध कहानी संग्रह है। वरिष्ठ कवि एवम साहित्यकार डॉ॰ विद्यासागर वर्मा, डॉ॰ गिरीश्वर मिश्र, डॉ॰ वंशगोपाल गुप्ता, डॉ॰ देवता प्रसाद त्रिपाठी आदि विभिन्न पूर्व विद्वान आचार्यों ने हिंदी विभाग को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
संप्रति हिंदी विभाग में पांच प्राध्यापक कार्यरत हैं श्रीमती साधना शुक्ला (असिस्टेंट प्रोफेसर/विभागाध्यक्ष), डॉ० दीपक राय (असिस्टेंट प्रोफेसर), श्री कुश कुमार(असिस्टेंट प्रोफेसर), श्री मणिपाल सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर) व श्री श्रवण कुमार गुप्त(असिस्टेंट प्रोफेसर)। हिंदी विभाग के कई पूर्व छात्र/छात्राएं उच्च शिक्षा विभाग में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं जैसे:- डॉ० आशा मिश्रा, डॉ० राघवेंद्र मिश्र, डॉ० आरती मिश्रा व डॉ० संतोष द्विवेदी आदि। हिंदी विभाग में 2020 से 2023 तक अनेक छात्र/ छात्राओं ने JRF व NET उत्तीर्ण किया है- मिथिलेश कुमार JRF, नीलू गुप्ता JRF, काजल शुक्ला NET, प्रीति यादव NET, अंजलि शर्मा NET ।
महाविद्यालय का हिंदी विभाग अपने स्वर्णिम अतीत को सहेजे हुए कर्मठ व विद्वान आचार्यों के समर्पित अध्यापन एवं यशस्वी प्राचार्य प्रो० कौशलेंद्र कुमार सिंह के कुशल मार्गदर्शन में निरंतर प्रगति के पथ पर गतिमान है।